इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीसीएस (जे) 2013 की प्रारंभिक परीक्षा में सात सवालों के उत्तर गलत होने के कारण परिणाम की वैधता को लेकर याचिकाएं दाखिल की गई हैं। कोर्ट ने याचिका में लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लेते हुए लोक सेवा आयोग को विशेषज्ञों से परीक्षण कराकर कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 25 सितम्बर को नियत की है। मुख्य परीक्षा 28 सितम्बर को प्रस्तावित है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश कुमार तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खण्डपीठ ने श्रेयश्री अग्रवाल, अनुरुद्ध कुमार सहित दर्जनों अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कोर्ट को बताया कि प्रारंभिक परीक्षा में विधि पेपर के सात सवालों के जवाब गलत हैं। सामान्य ज्ञान के भी कुछ सवालों के उत्तर गलत हैं। इसकी वजह से सही उत्तर देने वाले सफल नहीं हुए और गलत उत्तर देने वालों को इसका लाभ मिला। इस कारण याचियों को भी मुख्य परीक्षा में बैठने दिया जाए। इन्होंने सही उत्तर दिए हैं। आयोग के अधिवक्ता का कहना था कि प्रश्नों के उत्तर विशेषज्ञों द्वारा चेक किए गए हैं। कोर्ट ने आयोग के विशेषज्ञों पर भी चुटकी ली और कहा कि प्रश्न के उत्तरों की पुन: जांच करा ली जाय। प्रथम दृष्टया कुछ प्रश्नों के उत्तर गलत लग रहे हैं। याची का कहना था कि यदि प्रश्नों के सही उत्तर के आधार पर अंक दिए जाते हैं तो परिणाम की मेरिट प्रभावित होगी। ऐसे में याचियों को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाय
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश कुमार तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खण्डपीठ ने श्रेयश्री अग्रवाल, अनुरुद्ध कुमार सहित दर्जनों अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कोर्ट को बताया कि प्रारंभिक परीक्षा में विधि पेपर के सात सवालों के जवाब गलत हैं। सामान्य ज्ञान के भी कुछ सवालों के उत्तर गलत हैं। इसकी वजह से सही उत्तर देने वाले सफल नहीं हुए और गलत उत्तर देने वालों को इसका लाभ मिला। इस कारण याचियों को भी मुख्य परीक्षा में बैठने दिया जाए। इन्होंने सही उत्तर दिए हैं। आयोग के अधिवक्ता का कहना था कि प्रश्नों के उत्तर विशेषज्ञों द्वारा चेक किए गए हैं। कोर्ट ने आयोग के विशेषज्ञों पर भी चुटकी ली और कहा कि प्रश्न के उत्तरों की पुन: जांच करा ली जाय। प्रथम दृष्टया कुछ प्रश्नों के उत्तर गलत लग रहे हैं। याची का कहना था कि यदि प्रश्नों के सही उत्तर के आधार पर अंक दिए जाते हैं तो परिणाम की मेरिट प्रभावित होगी। ऐसे में याचियों को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाय
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