इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकिर्त्रयों की नियुक्ति संबंधी चार नवंबर 12 को जारी शासनादेश को स्पष्ट करते हुए कहा है कि शासनादेश जारी होने से पहले पूरी हो चुकी चयन प्रक्रिया पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस शासनादेश से आंगनबाड़ी कार्यकिर्त्रयों की नियुक्ति की नई प्रक्रिया निर्धारित की गई है। कहा गया है कि इससे पहले से जारी चयन प्रक्रिया समाप्त मानी जाएगी और नई प्रक्रिया के तहत ही चयन किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा है कि शासनादेश की मंशा पहले से चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को समाप्त करने की है न कि पूरी हो चुकी चयन को समाप्त करने की। चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो और नियुक्ति पत्र जारी होने से पहले शासनादेश आने पर पूर्व का चयन समाप्त नहीं होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कानपुर नगर के घाटमपुर ब्लाक की ज्ञानवती की याचिका पर दिया है। याची का आंगनबाड़ी कार्यकिर्त्रयों के रूप में चयन हुआ। नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति मांगी गई। आय प्रमाणपत्र की सत्यता पर शिकायत हुई। जांच के दौरान ही चार नवंबर 12 का शासनादेश आ गया नियुक्ति प्रक्रिया बदल दी गई। सरकार का कहना था कि शासनादेश से विचाराधीन चयन प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। याची का कहना था कि उसका चयन हो चुका है। ऐसे में शासनादेश उस पर नहीं लागू होगा। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति की अनुमति देने की प्रक्रिया के दौरान शिकायत की जांच के कारण यह नहीं कहा जा सकता कि चयन प्रक्रिया विचाराधीन है। कोर्ट ने राज्य सरकार को याची की नियुक्ति करने का आदेश देते हुए याचिका स्वीकार कर ली है और कहा है कि अधिकारियों ने शासनादेश को समझने में गलती की है
कोर्ट ने कहा है कि शासनादेश की मंशा पहले से चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को समाप्त करने की है न कि पूरी हो चुकी चयन को समाप्त करने की। चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो और नियुक्ति पत्र जारी होने से पहले शासनादेश आने पर पूर्व का चयन समाप्त नहीं होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कानपुर नगर के घाटमपुर ब्लाक की ज्ञानवती की याचिका पर दिया है। याची का आंगनबाड़ी कार्यकिर्त्रयों के रूप में चयन हुआ। नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति मांगी गई। आय प्रमाणपत्र की सत्यता पर शिकायत हुई। जांच के दौरान ही चार नवंबर 12 का शासनादेश आ गया नियुक्ति प्रक्रिया बदल दी गई। सरकार का कहना था कि शासनादेश से विचाराधीन चयन प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। याची का कहना था कि उसका चयन हो चुका है। ऐसे में शासनादेश उस पर नहीं लागू होगा। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति की अनुमति देने की प्रक्रिया के दौरान शिकायत की जांच के कारण यह नहीं कहा जा सकता कि चयन प्रक्रिया विचाराधीन है। कोर्ट ने राज्य सरकार को याची की नियुक्ति करने का आदेश देते हुए याचिका स्वीकार कर ली है और कहा है कि अधिकारियों ने शासनादेश को समझने में गलती की है
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