सचिव द्वारा निकाली गयी भर्ती शासनादेश पर आधारित एनसीटीई के नियमों एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अवलोक में थी। एकल बेंच ने स्थगन इसलिये दिया था कि उसमें अनिल संत ने बाद में बीटीसी/एसबीटीसी प्रशिक्षुओं को भी शामिल कर दिया था। इनकी नियुक्ति बेसिक नियमावली के तहत होती है जिसमें नियुक्त करने का अधिकार बीएसए को है। एकल बेंच ने बीटीसी/एसबीटीसी प्रशिक्षुओं को उस प्रक्रिया से अलग कराकर उनकी नियुक्ति भी करा दी। अतः बीएसए/सचिव का विवाद ख़तम हो गया परन्तु एकल बेंच ने प्रशिक्षु शब्द के भ्रम में पुरानी प्रक्रिया को बहाल नहीं किया और सरकारी पक्ष के निर्णयों पर मुहर लगा दी।
डिवीज़न बेंच ने मामले की निर्णायक सुनवाई करते समय बाहर नोटिस चस्पा कराया कि जिनको आपत्ति हो वे आकर अपनी बात रखें। न्यायमूर्ति का मकसद था कि एकल बेंच में पुरानी प्रक्रिया पर स्थगन कराने वाला अपना पक्ष आकर रखे जिससे की उसकी समस्या स्पष्ट हो सके। कपिल यादव के अधिवक्ता को एकल बेंच में कही अपनी बात को पुनः कहना चाहिये था क्योंकि प्रथम पक्ष पुराने विज्ञापन की बहाली की लड़ाई लड़ रहा था और कपिल यादव के अधिवक्ता को पुराने विज्ञापन पर आक्रमण करना चाहिये था जिसका जवाब प्रथम पक्ष देता की सचिव/बीएसए के जिस विवाद पर तुमने स्थगन पाया था वो विवाद एकल बेंच में समाप्त हो चुका है।
कपिल देव के अधिवक्ता ने जब नये विज्ञापन के पक्ष में बोलना शुरू किया तो जज को समझते देर ना लगी कि यह सिर्फ एकल बेंच में पुराने विज्ञापन में बाधक बन रहा था और उसकी याचिका ख़ारिज मान ली और न्यायमूर्ति ने स्पष्ट रूप में आदेश में इसका जिक्र किया। इस प्रकार पुराना विज्ञापन बहाल हुआ एवं नये ज्ञापन का वजूद समाप्त हो गया। अगर कोई पक्ष सर्वोच्च अदालत जायेगा तो इन विषयों पर न्यायालय गंभीरता से अध्ययन करेगा तदुपरांत फैसला आयेगा। डिवीज़न बेंच ने प्रशिक्षु शब्द मात्र से विज्ञापन रद्द करने पर आपत्ति जतायी । धांधली के आरोप को भी ख़ारिज करते हुये शानदार फैसला सुनाया जिससे कि पुराना विज्ञापन शानदार तरीके से बहाल हो गया। रमाबाई नगर पुलिस भी अब मानसिक रूप से जब्त दस्तावेज लौटाने की तैयारी कर रही है। दस्तावेज प्राप्त होने के बाद यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद टैबुलेशन रजिस्टर तैयार करेगी। सुप्रीम कोर्ट में जाने वाले पक्ष को लग सकता है जोर का झटका। डिवीज़न बेंच के फैसले में आरटीई एक्ट का हवाला याची पक्ष के लिये निराशाजनक हो सकता है। क्योंकि डिवीज़न बेंच ने सम्पूर्ण विवाद को शानदार तरीके से हल कर दिया है।
No comments :
Post a Comment